Tuesday, 19 March 2019

Chalta ja

चलता जा🚶🚶🚶🕴


कटे पैरो मै चलता हूँ
न रुकता हूँ न थकता हूँ

बस चलता हूँ बस चलता हूँ

जब जब होते मेरे होसले उनसे कम
तब तब वो पीछे मुढ मुढ देखे
फिर आश हे मन मे जलती
कटे हूऐ तो पैर कया??

बस चलता हूँ बस चलता हूँ

हे खुदा ए बाजुऐ ताकते
हे खुदा ए जुनूने होसले

बस चँता हूँ बस चलता हूँ

बढ चले ये कदम जहाँ ए गालिब
बढ चले ये कदम जहाँ ए गालिब
न  मुढेगख ए सुलताने हिनद
न झूकेगा ए सुलताने हिनद

बस चलता हूँ बस चलता हू

कटे पैर में चलता हूं
 ना रुकता हूं ना आता हूं

जब जब हमारी मियां ने तलवार ऐसा ही हवाएं रुखसत फरमाए तब तक घनघोर घटा का क्या घटा जैसा दुश्मनों का पटाखे सर दुश्मनों का सर हे कटा.

बस चलता हूं बस चलता हूं

हमारे कदम जब जब जंगे फरमाए
हमारे कदम तब तब फतेह फरमाएं

हिना गगन गगन बरस बरस
 नदी ठहर हवा थमी थमी
है आगाज ए आगाज
सुल्तानी जगे आवाज

चलता हूं मैं बस चलता हूं

धरती कप कपा बिजली चमक चमक
 बुझा समा जल उठा

है विजय आवाज ए सुल्ताने  आगाज

 कांटे पैरों में चलता हूं
ना रुकता हूं ना  थकता हूं

बस चलता हूं मैं बस चलता हूँँ


 शिवा संजय लेखक



Shivasanjay